जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ कभी-कभी भक्ति करने को मन https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
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